हौज़ा न्यूज एजेंसी के अनुसार, ईस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह सय्यद अली ख़ामेनई ने उन मक़ामात से संबंधित जहा नमाज़ पढ़ने वाले का शरीर और कपड़े पाक होने के बारे मे पूछे गए सवाल का जवाब दिया है। जो लोग शरई अहकाम मे दिल चस्पी रखते है हम उनके लिए पूछे गए सवाल और उसके जवाब के पाठ का उल्लेख कर रहे है।
पहली सूरत : कटने, घाव और फोड़े से खून बहना
अगर नमाज़ पढ़ने वाले के बदन या कपड़ों पर ज़ख़्म, चोट या फोड़े से ख़ून आता हो तो जिस्म या कपड़े धोना या कपड़े बदलना ज़्यादातर लोगों या ख़ुद उस शख़्स के लिए मुश्किल और परेशानी का सबब है तो जब तक घाव या फोड़ा ठीक न हो, वह इस रक्त के साथ नमाज पढ़ सकता है। इसी तरह अगर ख़ून के साथ मवाद निकल जाए और ज़ख़्म पर लगाई गई दवाई अशुद्ध हो जाए तो भी यही हुक्म है।
दूसरी सूरत: शहादत उंगली के एक पोर या गिरोह से कम रक्त
अगर नमाज़ पढ़ने वाले का शरीर या कपड़ा ख़ून से आलूदा हो जाए तो उसके साथ नमाज़ पढ़ने में कोई हरज नहीं अगर ख़ून एक दिरहम से कम होने मे नमाज पढ़ने मे कोई मुशकिल नही है अगर खून उससे ज़्यादा हो इसके साथ नमाज पढ़ने में इशकाल है।
तीसरी सूरत: छोटे वस्त्र का नजिस होना
अगर नमाज़ अदा करने वाले के छोटे कपड़े जैसे मोज़े, दस्ताने और गोल टोपी जो गुप्तांगों को छिपाने के लिए इस्तेमाल न की जा सकती हो और इसी तरह अंगूठियाँ, कंगन, चूड़ियाँ आदि।
चौथी सूरत: नजिस कपड़े पहनने के लिए मजबूर किया जाना
अगर कोई इंसान ठंड या पानी की कमी की वजह से नजिस शरीर या कपड़े पहन कर नमाज़ पढ़ने को मजबूर हो तो उसकी नमाज़ सही है।